ये सवाल हमें तब करना चाहिए जब हम बहुत ही खतरनाक स्थिति में हों, अगर ऐसा नहीं है तो हम Periods में भी योग कर सकते हैं, ज्यादातर Periods में योग हमारे लिए फायदेमंद भी होता है, क्योंकि पीरियड्स में दर्द कम होता है और गर्भाशय भी मजबूत होता है।
Periods के दौरान योग करना जरूरी नहीं है, लेकिन यह पूरी तरह से व्यक्तिगत पसंद और शरीर की स्थिति पर निर्भर करता है। कुछ महिलाओं को इस समय थकान, दर्द और कमजोरी महसूस होती है, इसलिए उन्हें आराम की ज़रूरत होती है। वहीं हल्के और सौम्य योगासन जैसे सुखासन, Shavasana या प्राणायाम करने से पेट दर्द और मूड स्विंग्स में राहत मिल सकती है। कठिन आसनों और उल्टे आसनों (Inversion) से बचना चाहिए। अगर शरीर अनुमति दे तो योग लाभदायक हो सकता है, लेकिन यदि असुविधा महसूस हो तो आराम करना ही सबसे बेहतर विकल्प है।
Periods के दौरान कितने दिन व्यायाम नहीं करना चाहिए? Yoga in Periods in Hindi
Periods के दौरान व्यायाम करना या न करना पूरी तरह से महिला के शरीर और उसकी सहजता पर निर्भर करता है। सामान्यत: पहले दो दिन रक्तस्राव और दर्द अधिक होता है, इसलिए भारी व्यायाम और कठिन योगासन से बचना चाहिए। इस समय आराम करना और हल्की गतिविधियाँ जैसे Walking, Stretching, या Gentle Yoga करना बेहतर होता है। तीसरे दिन से जब थकान और दर्द कम हो जाए, तो धीरे-धीरे सामान्य व्यायाम शुरू किया जा सकता है। यानी शुरुआती 1–2 दिन भारी एक्सरसाइज न करना ही सही है। हर महिला को अपने शरीर की ज़रूरत के अनुसार निर्णय लेना चाहिए।
Periods में हम कौन सा योग कर सकते हैं
Periods के दौरान हल्के और आरामदायक योगासन करना सबसे अच्छा माना जाता है। यह दर्द, सूजन और तनाव को कम करने में मदद करते हैं। भारी, उल्टे या बहुत अधिक ताकत वाले आसनों से बचना चाहिए। इस समय ध्यान, प्राणायाम और रिलैक्सेशन योगासन अधिक लाभकारी होते हैं। Shavasana, Sukhasana और Child Pose जैसे आसन शरीर और मन को शांति देते हैं। अनुलोम-विलोम व भ्रामरी प्राणायाम हार्मोनल संतुलन और तनाव कम करने में सहायक होते हैं। हर आसन को आराम से और बिना दबाव के करना चाहिए। मुख्य उद्देश्य शरीर को आराम देना और सहज महसूस करना है।
योगासन / प्राणायाम | समय (मिनट) |
शवासन (Shavasana) | 5–10 मिनट |
बालासन (Child Pose) | 3–5 मिनट |
सुखासन (Easy Pose) | 5 मिनट |
अनुलोम-विलोम | 5 मिनट |
भ्रामरी प्राणायाम | 3 मिनट |
कैट-काउ पोज़ (Marjariasana-Bitilasana) | 3–5 मिनट |
बटरफ्लाई आसन (Baddha Konasana) | 5 मिनट |
Periods के दर्द से राहत के लिए कौन से योग कर सकता है?
Periods के दर्द से राहत पाने के लिए हल्के और आरामदायक योगासन बहुत प्रभावी होते हैं। ये आसन पेट की मांसपेशियों को आराम देते हैं, रक्तसंचार बढ़ाते हैं और तनाव कम करते हैं। इन्हें धीरे-धीरे और आराम से करना चाहिए, ताकि शरीर पर अतिरिक्त दबाव न पड़े। नियमित अभ्यास करने से cramps और mood swings भी कम हो जाते हैं।
- बालासन (Child Pose) – कमर और पेट को आराम देता है
- कैट-काउ पोज़ (Marjariasana-Bitilasana) – रीढ़ और पेट की जकड़न कम करता है
- बटरफ्लाई आसन (Baddha Konasana) – पेल्विक क्षेत्र को रिलैक्स करता है
- शवासन (Shavasana) – पूरे शरीर को आराम देता है
- सुप्त बद्धकोणासन (Reclined Butterfly Pose) – पेट दर्द और तनाव में राहत देता है
- अनुलोम-विलोम प्राणायाम – मन और शरीर को शांत करता है
Periods में कौन से योग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए
Periods के दौरान हर योगासन करना सुरक्षित नहीं होता। इस समय शरीर संवेदनशील होता है और गलत आसन करने से दर्द, थकान या रक्तस्राव बढ़ सकता है। खासकर उल्टे आसन और बहुत कठिन मुद्राएँ शरीर के प्राकृतिक प्रवाह को रोकती हैं, जिससे असहजता हो सकती है। इसलिए हल्के और आरामदायक योग पर ही ध्यान देना चाहिए।
- शीर्षासन (Headstand) – उल्टा आसन, रक्त प्रवाह बाधित कर सकता है
- सर्वांगासन (Shoulder Stand)
- हलासन (Plough Pose)
- कपलाभाति प्राणायाम – ज्यादा दबाव डालता है
- तेज़ ट्विस्ट या बैकबेंड्स
- भारी शक्ति योगासन या जंपिंग पोज़
Periods योग के लिए केवल्य योगशाला (Kewalya Yogshala For Periods Yoga)
Kewalya Yogshala, Dehradun में Periods Yoga अभ्यास के लिए एक शांत और सहयोगी स्थान है। यहां प्राकृतिक वातावरण और पहाड़ों की गोद में योग का अभ्यास करने से मन और शरीर दोनों को संतुलन मिलता है। विशेष रूप से Periods के दौरान यहां सिखाए जाने वाले आसन दर्द और असुविधा को कम करने में मदद करते हैं। प्रशिक्षक व्यक्तिगत देखभाल और सही मार्गदर्शन पर ध्यान देते हैं ताकि हर महिला आराम से योग कर सके। योगशाला का सकारात्मक माहौल, स्वच्छता और आत्मिक ऊर्जा महिलाओं को इस समय के दौरान सहज और सशक्त महसूस कराती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Periods के दौरान योग न केवल शारीरिक दर्द और थकान को कम करता है बल्कि मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन भी प्रदान करता है। सही आसनों का अभ्यास करके महिलाएं अपने शरीर की लय से जुड़ती हैं और खुद को अधिक सहज महसूस करती हैं। Dehradun की केवल्य योगशाला जैसे स्थान इस अनुभव को और भी खास बना देते हैं, जहां प्रकृति और अनुभवी शिक्षकों का संगम मिलकर एक सुरक्षित वातावरण तैयार करता है। नियमित योगाभ्यास महिलाओं के लिए स्वास्थ्य, ऊर्जा और आत्मबल का स्रोत बन सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
A. Periods के दौरान हल्का अनुलोम विलोम करना सुरक्षित माना जाता है। यह तनाव और चिड़चिड़ापन कम करता है, लेकिन इसे बहुत धीमी गति और आरामदायक तरीके से करना चाहिए।
A. Periods के दौरान हल्की एक्सरसाइज जैसे Walking, stretching, yoga asanas (Butterfly, Cat-Cow, Supta Baddhakonasana) और deep breathing करना फायदेमंद होता है। ये दर्द कम करने, blood circulation बढ़ाने और मूड बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
A. चलने से Periods Flow सामान्य रूप से थोड़ा बढ़ सकता है क्योंकि यह blood circulation को तेज करता है। लेकिन यह हानिकारक नहीं है। हल्की वॉकिंग दर्द कम करने और शरीर को Relax करने में मदद करती है।
A. मासिक धर्म के आधार पर व्यायाम हल्के और आरामदायक रखने चाहिए। शुरुआती दिनों में योग, वॉकिंग या स्ट्रेचिंग बेहतर है। भारी एक्सरसाइज से बचें और जैसे-जैसे फ्लो कम हो, धीरे-धीरे सामान्य वर्कआउट शुरू करें।